वो रास्ते जाने पहचाने से थे,
राह पर चलने वाले भी अपने से थे.......
इतने लोगो का साथ देखकर खुद पर फक्र सा हुआ,
सोचा तन्हा नहीं हूँ,
मेरे साथ तो दुनिया चल रही है.....
सारी खुशियाँ थी पास मेरे,
सारे अपने थे साथ मेरे,
मेरी खुशियों में शरीक हो मेरे अपने बने थे वो.......
फिर कुछ मोसम बदले से लगे......
जैसे बसंत के बाद पेडो से पत्ते झड़ने से लगे........
कुछ दूर जा कर ये कदम डगमगाए, लड़खडाए.....
एक हाथ बढाया, कि थाम लेंगे साथी मुझे........
जोर की ठोकर लगी, मुह के बल ज़मीन पर जा गिरी........
आसपास देखा तो कोई भीड़ न थी.....
बस खुद कि परछाई साथी बनी थी......
घुटनों में चोट लगी, फक्र टूट गया था......
आँखों में आंसू थे....पर पोछने के लिए हाथ न थे.......
थोडा संभल कर बैठी तो खुद पर हंसी आई......
फिर एक कहावत याद आई,
साथ चलते to है सभी इस ज़िन्दगी के सफ़र में.........
पर साथ कोई देता नहीं है......
जी लेते है सभी हर किसी के लिए थोडा थोडा.......
पर कोई मरता नहीं कभी किसी के लिए.........
Thursday, October 16, 2008
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12 comments:
ek bar phir aap ko padhna bahut achha laga bahut khoob
Anil
rani ji
jab bhi apko pada hai khud ko pada ho jaise...apka har ahsas mera lagta hai mujeh meri si soch mere se shabd ....kya kahun ise...me aaine ke samne to nahi.
sach hai sukh ke sab sathi ya kahne ko to sab sath hai magar bheed me tanhayee ki bata hoti hai.
bhaut dil se likhi rachna dil tak gayee.
love
sakhi
साथ चलते to है सभी इस ज़िन्दगी के सफ़र में.........
पर साथ कोई देता नहीं है......
जी लेते है सभी हर किसी के लिए थोडा थोडा.......
पर कोई मरता नहीं कभी किसी के लिए.........
BAHUT ACCHA LIKHA HAI RANI JI....
EK DAM SADHE HUE AUR KHUBSURAT SHABD ,,
zindagi men aise anubhav aksar hote hain.
जी लेते है सभी हर किसी के लिए थोडा थोडा.......
पर कोई मरता नहीं कभी किसी के लिए.........
bahut khoob.achchha laga padhna.
सभी के साथ में जीकर भी अलग रहा हूँ मैं।
दब गया राख में तो पर भी सुलग रहा हूँ मैं।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
zindgain ka koi maksad nahi hai.
ek bhi kad aaj aadamkad nahi hai,
ped podhe hai bahut bone tumhare,
raste me ek bhi bargad nahi hai,
is chaman ko dekhkar kisne kaha tha?
ek panchi bhi shayad yaha nahi hai.
DUSYANT KUMAR
ज़िन्दगी के सफ़र में सच मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है,दुःख के क्षणों में ही अपनों की पहचान होती है,खुद को अकेला पाकर दुःख तो होता है,पर वहां से एक नई पहचान ,नयी दृष्टि होती है.......
बहुत अच्छे ढंग से उन लम्हों को उभारा है,जहाँ हताश-सा मौन साथ होता है....
साथ चलते to है सभी इस ज़िन्दगी के सफ़र में.........
पर साथ कोई देता नहीं है......
जी लेते है सभी हर किसी के लिए थोडा थोडा.......
पर कोई मरता नहीं कभी किसी के लिए.........
आपने सच कहा ...अपने अपने हिस्से की लडाई हमें ख़ुद ही लड़नी पड़ती है !!!!!!!!!!!
खूबसूरत शब्दांकन जिंदगी के यथार्थ का...
***टैगोर ने कहा है --एकला चलो रे***
साथ चलते to है सभी इस ज़िन्दगी के सफ़र में.........
पर साथ कोई देता नहीं है......
जी लेते है सभी हर किसी के लिए थोडा थोडा.......
पर कोई मरता नहीं कभी किसी के लिए
Bahut khub likha hai Rani aapne
apne dil ke halat ko bayaan karne ka bahut achha zariyaa hai
Keep it up
Parvinder
dear rani,
is kavita ki punch lines bahut sahi hai , man ko choo gayi.
keep writing .
regards
vijay
maine bhi kuch naya likha hai , aapke comments ki raah dekh rahe hai...
achchhi hai ......nice poem.
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