बहुत दिनों बाद आप लोगो से फिर से रूबरू होने का मोका मिला.....
इन दिनों क्या कर रही थी, क्या सोच रही थी, उस पर अभी उलझन है,
बस ज़िन्दगी अपनी रफ़्तार से नदी सी बहे जा रही थी..... और मुझे भी अपने साथ बहा लिए
जा रही थी...
कुछ सोचने, समझने और थमने का मोका ही नही दे रही थी....
बस बहाए लिए जा रही थी मुझे अपने साथ,
और मैं निर्विरोध बहे जा रही थी.....
अपने कल और आज me इस कदर ulajh गई की सोचने samajhne की शक्ति ही नही reh गई थी....
बहुत दिनों बाद आप लोगो के समक्ष अपनी manodasha prakat करने का sahas फिर से जुटा पायी hu...
kripaya एक नज़र avashye डाले......
Saturday, February 7, 2009
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1 comment:
कहना बहुत कुछ है, पर शब्दों की कमी सी है आज.....
गर शब्द मिल रहे है, तो लफ्जों की कमी सी है आज!...kiya feling hai
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