Tuesday, October 14, 2008

PLEASE HELP ME......

मैं एक चार्टेड बस से ऑफिस जाती हूँ, एक साल से ज्यादा हो चुका है मुझे उस बस में जाते हुए.....
बस का रास्ते में ख़राब होना अब हमारे daily routine में शामिल हो चुका था!
किसी भी दिन बस का ख़राब होना और हमारा बस के मालिक को कुछ न कुछ भला-बुरा कहना जीवन का एक हिस्सा बन चुका था........
इसी तरह शनिवार (11-10-08) को भी सुबह बस ख़राब हो गयी और उसी तरह कुछ न कुछ बडबडाते हुए अपने अपने रास्ते निकल गए!
शाम को फ़ोन से पता लगा की बस ठीक नहीं हुई है और हम अपनी अपनी सुविधा के अनुसार घर के लिए चल पड़े!
रास्ते में देखा बस उसी जगह पड़ी हुई थी,
अब तो हद हो गयी थी, और हम सभी ने फैसला किया की अब किसी और बस में जाया करेंगे इस बस का कोई भरोसा नहीं है!
हम अपने अपने घर जा कर सो गए......
सुबह मेरे एक मित्र का फ़ोन आया और उसने कहा की हमारी बस का मालिक मर गया!
नहीं पता की क्या कहा उसने और क्या सुना मैंने......
पर कुछ देर बाद खुद को सँभालने के बाद मैंने फिर से फोन किया तो पता लगा की ये सच था!
सड़क पर कड़ी बस को एक टेंपो ने टक्कर मार दी,
उस वक्त बस का मालिक दूसरी तरफ खडा हो कर बस ठीक कर रहा था!
पूरा दिन इस बात पर विश्वास करने की कोशिश करती रही की हाँ ये सच है........
अगले दिन सभी दूसरी बस में चले गए पर मैं न जा सकी!
आज हम सभी दूसरी बस ME आये (उसके भाई की),
बस के माहोल में कुछ भी बदलाव नहीं था,
वही हंसी मजाक, वही बाते, न कोई दुःख, न कोई शिकन माथे पर,
कुछ भी ऐसा नहीं था कि लगे हाँ एक इंसान हमारे बीच में से जा चुका है!
क्या हमारा उससे यही रिश्ता था कि हम उसकी बस में जाते थे?
अब हम बस बदल देंगे, बस यही रिश्ता था?
मोत कि इस हकीकत को समझ नहीं पा रही हूँ मैं,
इंसान का जीवन सिर्फ यही है?
उसका परिवार, उसके दो छोटे छोटे बच्चे, क्या होगा उन सब का?
हम तो बस बदल कर फिर से अपने अपने रास्ते चल पड़ेंगे,
यही हमर कर्त्तव्य है, यही हमारी मानवता है.........
कृपया कोई मुझे राह दिखाए की मैं क्या करू?
मैं इस प्रकार अपना रास्ता बदल कर नहीं चल सकती,
मेरा मन अशांत है.......
PLEASE HELP ME......

12 comments:

रश्मि प्रभा... said...

समझ सकती हूँ इस बेचैनी को,पर यह बड़ा ही कड़वा सच है !
वो गीत सुना है न?-संग ना देंगे बंधू बाराती,या-सुख में तेरे साथ चलेंगे,दुःख में सब मुख मोडेंगे......
बहुत कम इस तकलीफ से गुजरते हैं,और इस कमी को महसूस करते हैं. हर तकलीफ के बाद वही सुबह,वही चक्र !
खुद को ठीक करो,उसकी आत्मा के लिए दुआ करो

डाॅ रामजी गिरि said...

रानी, आप के संवेदनशील दिल की व्यथा सचमुच मन को प्रकम्पित कर गयी..
उत्तर-आधुनिक भू- मंडलीकरण में मानवमात्र के तन-मन का मशीनीकरण हो गया है .
पर आप जैसे लोगो के भरोसे ही अभी भी आशा बनी हुई है...

डाॅ रामजी गिरि said...

रानी, आप के संवेदनशील दिल की व्यथा सचमुच मन को प्रकम्पित कर गयी..
उत्तर-आधुनिक भू- मंडलीकरण में मानवमात्र के तन-मन का मशीनीकरण हो गया है .
पर आप जैसे लोगो के भरोसे ही अभी भी आशा बनी हुई है...

!!अक्षय-मन!! said...

aaj kal koi apna bhi agar chala jata hai to koi ufff tak nahi karta aur aap kitne dukh ki baat hai insaan apni parasthiyo mai is kadar ghira hua hai use koi matlab nahi koi ata hai ya jata hai .........
aap kyun pareshan hoti ho aap to sabse alag kyunki bhagwaan ne aapko aisa dil diya hai jo har kisi k paas nahi rheta ........
ye to prakriti ka niyam hai ise hamain manna padega chahain ye kitni bhi kadwi sacchai kyun na ho..
himmat se kaam lijiye........
aur hum sab bhagwaan se unki aatma ki shanti ki dua karte hain ...........

Upinder Singh Dhami said...

u also have kind hearted. i feel vry glad 2 c ur nature and also i feel proud as ur frnd.
par main ik baat kehna chahta hu. emotions ki umar jyada lambi nahi honi chahiye. apne emotions se uper otho. jo ho gya vo to past ha. agar really tum ik ache insaan banna chahte ho to unke ghar jao or unki family se baat kro or une btao ki tum onki bas mein roz jati thi. or unse ye zaroor kehna ke agar mein apke kbi kaam aa sku to muje bohat khushi hogi. jo mein aap ke liye kar saku vo mein zaroor karugi.
bec i told u early.....
doing hands r better than those hands which r only praying.
sirf unke liye prayer karne ka koi fayda nahi ha..........

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

bahut hi samvedansheel mann se ghatna ka varnan kiya hai. bass aise dukh se ubarne ke liye--apana sahaara aap bano...yahi dua hai.
shubhkaamnayon ke saath

PARVINDER SINGH said...

रानी आप ने सच को जिस तरह से यहाँ पेश किया
सच मे कबीले तारीफ है ,जाने वाला तो चला गया पर हम ये क्यों भूल गए की कल तक वो हमारा ही एक हिस्सा था !!
आपने अपने मन की संवेदना को जिस तरह यहाँ पेश किया है मे तहे दिल् से आपका शुक्रिया करता हूँ!!
शुभकामनाओ और इस दुआ के साथ की आप का मनन युहीं रहे

परविंदर

Lams said...

Raani, dukh tab hota hai jab aap kisi ko chahte ho or wo chala jaye. or bura tab lagta hai jab aap kisi ke baare me bura bolte ho or wo chala jaye. Mere khyal se aapko bura adhik lag raha hai or dukh kam. Apne aap ko thoda waqt dijiye or samasya khud ba khud ghul jayegi. Yehi zindagi hai....

--Gaurav

Rani Mishra said...

धन्यवाद्
आप लोगो ने मेरे मन को समझा और मेरा साथ दिया......
देखते है कहा तक क्या कर सकते है......
जानती हु की हम कुछ नहीं कर सकते, हम कोन होते है कुछ करने वाले........
करने वाला तो वो एक ही है......
मैं ये भी नहीं चाहती की हम कुछ भी ऐसा करे जिससे,
उनके घर वालो को लगे की हम उन पर दया कर रहे है.
मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूँ की हम उनकी मदद करे भी पर उन्हें पता न लगे,
और वो खुद ही सर उठा कर जी सके........

Jashwant Singh Chaudhary said...

Yeh to padya kam gadya jyaada laga......Mujhe sach mein achchhi nahi lagi ........

रजनीश said...

हमलोग आज जहाँ भी हैं, जो भी हैं समाज के बदौलत है। हम पर समाज का बहुत ऋण है, जिसे हम अपनी सदाशयता से कम तो कर सकते हैं पर चुका नहीं सकते। हमारा यह परम कर्तव्य बनता है कि जो भी बन पड़े, जितना भी हो सके हम हाशिये पर छूट गये भाइयों के उत्थान के लिये कुछ रचनात्मक काम करें। समाज में पिछड़े लोग चूंकि बौद्धिक रुप से भी तो काफी पिछड़े होते हैं, जिससे उन्हें अपने लिए चलायी जा रही बहुत सारी योजनाओं की जानकारी नहीं होती और वे उसका उचित फायदा नहीं उठा पाते। मैं यथासंभव प्रयास करता हूं इनके बेहतरी के लिए और करुँगा, साथ ही मेरा विनम्र आग्रह है सबसे कि सबलोग इस रचना से झलक रहे दर्द को महसूस करें तथा अपने आसपास जरुरतमंद लोगों को हर तरह से ( न कि पैसे से ) सक्षम बनाने का प्रयास करें।

बादल१०२ said...

kisi na kisi se hum anjaane se jude hue hote hai chahe wo koi bhi ho, or wahi aap ke saath bhi hai aap safar karte karte anjaane mai un anjaan logo se jud gaye,or us baat ka pata hume tab chalta hai ki jab kuch hota hai wahi aap ke saath hua, ye akasar hota hai humare saath. hum aap ki bechaini ko samaj sakte hai. lakin jindgi ka chakra chalta rehta hai sirf us insaan ke liye sache man se dua karo or life ko ek baar fir se normal routine mai laane ki koshish karo.