Tuesday, December 9, 2008

आज.......

कहना बहुत कुछ है, पर शब्दों की कमी सी है आज.....
गर शब्द मिल रहे है, तो लफ्जों की कमी सी है आज!
जज्बातों का दरिया तो है सीने में पर.....
जज्बातों में एहसासों की कमी सी है आज!
मेरी खामोशी को पढ़ लेना तुम......
लबों पे हर बात रुकी सी है आज!
नज़रों की झुकन को समझ लेना तुम......
कि नैनो में अश्कों की कमी सी है आज!
मेरी चाहत को महसूस कर लेना तुम.....
दिल के दरिया में तूफानों की कमी सी है आज!
मेरे कदमो की आहट को पहचान लेना तुम.....
दुनिया के शोर में सन्नाटे की कमी सी है आज!
चारों और भीड़ से घिरी हुई हूँ मैं......
कि इस भीड़ में मेरी तन्हाई को महसूस कर लेना तुम आज!
लबों पे हंसी और आँखों में ख़ुशी भी है......
पर इस हंसी में आँखों की नमी को महसूस कर लेना तुम आज!
इजहारे मुहब्बत मुमकिन न होगा हमसे......
झुकी पलकों स हुए इकरार को समझ लेना तुम आज!
गर इस जनम में मिलना मुमकिन न हुआ तो.......
मुझे अपनी साँसों में महसूस कर लेना तुम आज!