Tuesday, February 2, 2010

रूबरू...............

बड़ी शिद्दतो के बाद रूबरू हुए है आपसे ,
बीते कितने दिन और कितने महीने.......
रोज़ उसी ज़िन्दगी में से दो पल निकलते है.......
वही तुम थे वही हम थे बस फासले थोड़े कम थे ,
वो कल्पना, वो सोच, वो आँखों में बसी अनदेखी मूरत,
एक पल को सब ठहर गया, जब रूबरू हुए है आपसे ,
कल्पना को हकीकत, सोच को नया आयाम,
और अनदेखी मूरत में सिमट गयी तुम्हारी सूरत..........