Tuesday, September 23, 2008

खामोशी

सब कहते है मैं बहुत बोलती हूँ,
पर आज वक़्त खामोश कर गया मुझे,........
जो मेरी खामोशी को समझ गया.........
उसने कहा अब चुप हो जाओ
और जो न समझ सका वो कहने लगा की कुछ तो बोलो बहुत हो गयी खामोशी...............
कभी खामोशियाँ सब कुछ कह जाती है...........
दिल का आइना है खामोशी...........
अश्कों की जुबान है खामोशी.........
हर उनकाही बात का ज़वाब है खामोशी..........
बहुत सी उलझनों की सुलझन है खामोशी.........
बहुत से प्रश्नों का हल है खामोशी.........
कुछ रिश्तों की परिभाषा भी है खामोशी......
आज जो मैं कह रही हूँ वो मेरी सोच है और
जो नहीं कह पा रही हूँ वो मेरी उनकाही खामोशी है...........
खामोशियों की अपनी एक जुबान होती है...........
जो समझ सके उसके लिए हर जवाब.........है खामोशी...........
और जो ना समझ सके उसके लिए कई सवाल है खामोशी...........

5 comments:

रश्मि प्रभा... said...

कभी खामोशियाँ सब कुछ कह जाती है...........
....... सच है खामोशियों की अपनी जुबान होती है,
और वक़्त जिन्हें खामोश कर देता है,उनकी भाषा समझनेवाले
लोग भी होते हैं.
एक गीत है ना.......कलियों से कोई पूछता हंसती हैं वो या
रोती हैं .....ऐसी भी बातें होती हैं!
यूँ लोगों को काम है कुछ भी कहना,
अपनी बातों को,अपनी मुखरता को जिंदा रखो
बहुत संजीदगी के साथ तुमने लिखा है अपनी भावनाओं
को-बहुत सुन्दर !

शेरघाटी said...

likhti rahen.
bahut achchi koshish
andaaz bhi theek hai

Yogi said...

khaamoshi khaamoshi khamoshi..

KHAMOSHHHHHHHH

Yahan log zubaan se kahi baat ko nakaar dete hain, to fir ye khaamoshiyo ki bhasha bhala kaun samjhega....

Anyways...No comments from my side...because I know, you understand the language of Silence...

Khaamoshi ki bhashaa

HA HA........

Archit said...

Hmm...!
m fully agree...

kabhi kabhi khamoshi bina kahe bhaut kuch keh jati hai..!

aur hum mook darshak se use sun hi nahi pate..!!

vijay kumar sappatti said...

कुछ रिश्तों की परिभाषा भी है खामोशी......

ye line sabse achi hai ..
ekdum dil ke karib se gujar gayi....
regards
vijay